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उत्तराखण्ड:कांग्रेस विधायक पेपर लीक मामले की क्यों चाहते हैं सीबीआइ जांच हाई कोर्ट ने पूछा सवाल

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नैनीताल।  हाई कोर्ट ने उत्तराखंड अधीनस्थ चयन सेवा आयोग की परीक्षा में गड़बड़ी को लेकर खटीमा से कांग्रेस विधायक व उपनेता सदन भुवन कापड़ी की याचिका पर सुनवाई की।
वरिष्ठ न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने याचिकाकर्ता से 12 सितंबर तक यह बताने को कहा है कि आप इस मामले की जांच सीबीआइ से क्यों कराना चाहते हैं। आपको स्पेशल टास्क फोर्स की जांच पर क्यों संदेह हो रहा है। यदि एसटीएफ जांच में किसी को बचा रही तो वह नाम बताएं। मामले की अगली सुनवाई 12 सितंबर को होगी।
याचिकाकर्ता ने याचिका में संशोधन के लिए समय भी मांगा है। सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से महाधिवक्ता एसएन बाबुलकर, मुख्य स्थायी अधिवक्ता चंद्रशेखर रावत व शासकीय अधिवक्ता गजेंद्र सिंह संधु पेश हुए। उनकी ओर से कहा गया कि याचिका राजनीतिक कारणों से दाखिल की गई है इसलिए पोषणीय नहीं है।
विधायक कापड़ी ने याचिका दायर कर कहा है कि यूकेएसएसएससी परीक्षा में हुई गड़बड़ी की जांच एसटीएफ सही तरीके से नहीं कर रही है। पेपर लीक कराने को लेकर अभी तक छोटे लोगों की गिरफ्तारी हुई है। जबकि साजिश रचने वाले बड़े लोगों में से किसी की भी अभी तक गिरफ्तारी नहीं हुई है। इसमें उत्तर प्रदेश व उत्तराखंड के कई बड़े अधिकारी व नेता शामिल हैं। सरकार उनको बचा रही है। इसलिए इस मामले की जांच एसटीएफ से हटाकर सीबीआइ से कराई जाए।
अब तक 36 की गिरफ्तारी – यह परीक्षा 2021 में हुई थी। 22 जुलाई 2022 को अनुसचिव राजन नैथानी की ओर से रायपुर थाने में अज्ञात के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया गया।एफआइआर में कहा गया है कि वाट्सएप संदेश से अभ्यर्थियों को सवाल हल कराए गए। एसटीएफ ने शुरू में संदिग्ध 17 लोगों के फोन लोकेशन व सीडीआर के माध्यम से जांच की शुरुआत की, जो सही पाई गई। अब तक इस मामले में एसटीएफ 36 से अधिक आरोपितों की गिरफ्तारी कर चुकी है।

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