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पशुओं को बीमारि से बचाने के लिए समय पर उपचार ज़रूर कराऐं डॉ. रोहित सिंह

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रुड़की पशु चिकित्सक रोहित सिंह ने बातचीत के दौरान कहा कि इस समय गर्मी का मौसम चल रहा हैं। इस दौरान कुत्तों में बीमारी अधिक फैल रही हैं। जब उन्हें पसीना नहीं आता, तो तेज बुखार होता हैं और उनका तापमान बढ़ जाता है। मौसम बदलते ही इंफेक्शन बढ़ जाता हैं। उन्होंने कहा कि मई, जून, जुलाई माह में टी-फीवर नामक बीमारी आती हैं। जो गाय, भैंस आदि पशुओं में भी फैलती हैं। उन्होंने कहा कि दवाई से हर हफ्ते पशुओं को नहलाना चाहिए। बड़े-छोटे जानवरों में एक ही तरह के लक्षण होते हैं। उन्होंने कहा कि कीटनाशक का पशुबाड़े, गौशाला आदि में दस दिन में एक बार छिड़काव जरूर करना चाहिए। ताकि जूं आदि न रह सके। उन्होंने कहा कि अगर समय पर पशु का उचित उपचार न हो, तो उसकी मौत हो जाती हैं। साथ ही कहा कि गर्मी में दोपहर के समय जानवरों को अच्छी तरह नहलाना चाहिए, तभी उनको राहत मिलेगी। साथ ही कहा कि बड़े पशुओं में टी-फीवर अधिक होता हैं। मादा चींचड़ी पशु का खून पीते हैं, एक बार में वह 250 तक अंडे देती हैं, इससे बचाव करना बेहद जरूरी है। साथ ही बरसात में खुरपका, मंुहपका बीमारी आती हैं। दस जून से विभाग की ओर से इनका निःशुल्क टीकाकरण किया जायेगा। जबकि ग्याभन पशु व चार माह के पशुओं को छोड़कर अन्य सभी पशुओं को यह टीका लगता हैं। उन्होने कहा जुलाई में गलघोंटू की बीमारी शुरू होती हैं, इसका टीकाकरण करने के लिए प्रति पशु 2 रुपये शुल्क लिया जाता हैं। चिकित्सक रोहित सिंह ने बताया कि रक्त जनित बीमारयां एक पशु से दूसरे पशु में फैलती हैं। फिलेरिया नामक बीमारी होने पर जानवर के मुंह से पानी गिरता हैं और ईलाज न होने पर उसकी मौत हो जाती है। बाहर से यदि कोई पशु खरीदकर लायें, तो रास्ते में ही चींचडी की दवाई उसे जरूर लगायें। उन्होंने कहा कि पशुओं का रख-रखाव अवश्य करना चाहिए और समय पर बीमारी का ईलाज करायें। नहीं तो पशु की जान जाने का खतरा बन जाता हैं।

ब्यूरो रिर्पोट

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