रुड़की शहर में बिना नक्शा पास कराये ही कमर्शियल व निजी मकानों का निर्माण धडल्ले से हो रहा हैं। इसे रोकने के लिए सरकार द्वारा यहां एचआरडीए का गठन किया गया और उन्हें जिम्मेदारी सौंपी गई कि अवैध भवनों पर रोक लगाई जाये। जो व्यक्ति भवन निर्माण की अनुमति लें, उस निर्माण को ही कराया जाये। लेकिन शहर में अलग ही ढंग से अवैध भवनों का निर्माण कार्य हो रहा हैं।
इससे एक ओर जहां सरकार को टैक्स नहीं मिल पा रहा हैं, वहीं प्राधिकरण में बैठे भ्रष्ट अधिकारियों की चांदी कट रही हैं। वह दोनों हाथों से काली कमाई एकत्र कर रहे हैं। उनके द्वारा शहर में कुछ दलाल छोड़े गये हैं, जो भवन निर्माण करने वाले लोगों से सांठ-गांठ कर अधिकारियों तक लाने का काम करते हैं और फिर लेन-देन का कार्य शुरू होता हैं। बताया गया है कि इस प्रकार के अनेक दलाल प्राधिकरण के आस-पास मंडराते रहते हैं और शिकार को देखते ही दबोच लेते हैं। रुड़की में तो प्राधिकरण के अधिकारी काफी बदनाम हो चुके हैं। लेकिन जनप्रतिनिधियों की शिकायत पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा हैं। एक ओर जहां भाजपा की सरकार जीरो टोलरेंस पर काम कर रही हैं, वहीं प्राधिकरण के अधिकारी सरकार को बदनाम करने का काम कर रहे हैं। जो काम पूर्व की कांग्रेस सरकार में एक रुपये में होता था, वह फिलहाल पांच रुपय में हो रहा हैं। इससे पता चलता है कि अधिकारी कितने खुले मन से रिश्वत बटौर रहे हैं। जहां एक ओर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे नेताओं पर आम जनता को भरोसा हैं, वहं पुष्कर सिंह धामी भी उन्हीं के पद्चिन्हों पर चल रहे हैं, लेकिन उक्त भ्रष्टाचारी प्राधिकरण के अधिकारी सीएम की छवि को खराब करने पर तुले हैं। इनकी गोपनीय तरीके से जांच कराकर आरोपी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई किया जाना आवश्यक हैं। क्योंकि जो रकम टैक्स के रुप सरकारी खाते में जानी चाहिए थी, उस से यह भ्रष्ट अधिकारी अपनी जेब भर रहे हैं और इस काली कमाई की गूंज रुड़की से देहरादून तक पहंच रही है