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ऋषिकेश परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कया कहा

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नवीन कुमार रिपोर्टर

ऋषिकेश परमार्थ निकेतन ऋषिकेश में ग्लोबल इंटरफेथ वाश एलायंस द्वारा यूनिसेफ के सहयोग से नियमित टीकाकरण, जलवायु परिवर्तन एवं पर्यावरणीय सम्पोषणीयता पर धर्मगुरूओं के लिये नीतिनिर्देशीय दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस दो दिवसीय कार्यशाला के माध्यम से विषय-वस्तु विशेषज्ञों के नेतृत्व में धर्म आधारित संगठनों के प्रतिनिधियों को एक साथ लाया जा रहा है ताकि सामाजिक स्तर पर विलक्षण परिर्वतन किया जा सके।
भारत के 6 राज्यों के विभिन्न धर्म व आस्था आधारित संगठनों के सम्मानित धर्मगुरू एक साथ मिलकर टीकाकरण के माध्यम से स्वास्थ्य परिणामों एवं आंकडों में सुधार करने और अपने समुदायों में व्यापक पर्यावरणीय चेतना को जागृत करने के लिए एक नूतन अभियान की शुरूआत करने हेतु परमार्थ निकेतन में एकजुट हुए हैं।
भारत में सार्वभौमिक टीकाकरण को समझने, कमजोर समुदायों पर विशेष ध्यान देने के साथ भारत के लिए टीकाकरण, प्राथमिकताएँ व प्रमुख चुनौतियाँ क्या है, समुदायों के साथ जुड़ने के लिए लीडर्स के रूप में एफबीओ की भूमिका, समुदायों तक सूचना प्रसारित करने के लिए एफबीओ प्लेटफार्म की आवश्यकता, समुदायों को प्रेरित करने हेतु संदेश भेजना है, प्रमुख फोकस क्षेत्रों में कार्य करना आदि अनेक विषयों पर 5 माह की कार्ययोजना तैयार की गयी।
ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलायंस, यूनिसेफ के सहयोग से, 2023 में 5 महीने का एक नूतन अभियान शुरू कर रहा है। स्वामी चिदानंद सरस्वती के दूरदर्शी नेतृत्व के अन्तर्गत विभिन्न धर्मो व संगठनों के सम्मानित प्रतिनिधि स्वस्थ जीवन हेतु आवश्यक महत्वपूर्ण मुद्दों के प्रति जनसमुदायों को जागरूक करने, संबोधित करने और चर्चा करने हेतु एक साथ एक मंच साझा कर समुदायों में रहन वाले सभी लोगों का कल्याण हो इस पर चिंतन-मंथन किया जा रहा है।
यह अभियान तीन प्रमुख क्षेत्रों पर केंद्रित है जहां धर्मगुरू अपने समुदायों में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अद्यतन डेटा और ज्ञान से लैस होंगे। ये क्षेत्र हैं मुख्यतः
नियमित टीकाकरण – टीकाकरण के महत्व के बारे में समुदाय की समझ को बढ़ाना, सुधार करना, विशेषकर वंचित समुदायों में।
स्वच्छता संवर्द्धन – नियमित शौचालय के उपयोग और रखरखाव, सुरक्षित जल का उपयोग और साबुन से हाथ धोने को बढ़ावा देना।
स्वस्थ जीवन शैली – मानव स्वास्थ्य पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में जागरूकता बढ़ाना और स्वस्थ जीवन शैली को बढ़ावा देना।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आज के कार्यक्रम के विषय में चर्चा करते हुये कहा कि यह एक डिवाइन प्लान है। सभी धर्म और सभी धर्मों की प्रार्थनायें एकता, सद्भाव व समरसता की बात करते हैं, वननेस की बात करते हैं, हमारे ग्रंथ हमें एकजुटता का संदेश देते हैं, ईश्वर को भी विविधता प्रिय है इसलिये यही हमारा रोल और यही हमारा गोल होना चाहिये।
स्वामी जी ने सभी धर्मगुरूओं से चर्चा करते हुये कहा कि अपने उद्बोधनों, प्रवचनों, संदेशों, वचनों के माध्यम से समुदायों तक टीकाकरण का संदेश पहंुचाना, उसके पीछे के भय को दूर करना, भाव जागृत करना, विश्वास पैदा करना, सही संदेशों को पहुंचाना और उन्हें टीकाकरण के लिये प्रेरित करना अत्यंत आवश्यक है। यह संदेश देना की टीकाकरण ही जीवन है, टीकाकरण अमृत है और जिस प्रकार हम अपने बच्चों का लालन-पालन करते है उसी प्रकार टीकाकरण भी करना जरूरी है क्योंकि टीकाकरण बच्चों के लिये खतरा नहीं बल्कि जीवन है, इसके लिये हम सभी मिलकर चलेंगे तो जरूर कामयाब होंगे।
श्री गोस्वामी सुशील जी ने कहा कि धर्म और आस्था के माध्यम से जनसमुदाय में टीकाकरण के प्रति विश्वास पैदा करना जरूरी है और यह संदेश धर्मगुरूओं के माध्यम से जाये तो अद्भुत परिवर्तन होगा। उन्होंने कहा कि टीकाकरण केवल बच्चों के लिये ही नहीं बल्कि राष्ट्र के लिये भी आवश्यक है।
सरदार परमजीत चंडोक जी कहा कि टीकाकरण का संदेश हमारी कथाओं, गं्रथी साहब कथा, उद्बोधनों, सोशल मीडिया और अन्य मंचों से प्रसारित करें तो आवाज दूर तक जायेगी। उन्होंने कहा कि आगामी नवम्बर, दिसम्बर और जनवरी में गुरूद्वारा में बड़े कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है जिसके माध्यम से जनसमुदाय तक संदेश प्रसारित करने हेतु कैम्प लगाने का उन्होंने सुझाव दिया।
श्री विवेक मुनि जी ने कहा कि सरल व सहज भाषा में टीकाकरण की जानकारी, कौन सा टीका कब लगाना है और किस बीमारी की रोकथाम करता है यह जानकारी सहज रूप से उपलब्ध करायी जाये तो इस विषय के प्रति जनसमुदाय को प्रभावित और प्रेरित कर सकते है।
तमारा अबू शाम जी, एसबीसी विशेषज्ञ, यूनिसेफ, ने कहा कि धर्मगुरू है तो आज हम यहां पर हैं इसलिये हमने इस मीटिंग को किसी 5 स्टार होटल मंे नहीं बल्कि आश्रम के दिव्य वातावरण में रखा है। धर्मगुरू सामाजिक परिवर्तन का अद्भुत माध्यम है। परमार्थ निकेतन गंगा आरती व्यवहार परिवर्तन का विलक्षण प्लेटफार्म है। उन्होंने कहा कि अगर धर्मगुरू कहे कि अपने बच्चों का टीकाकरण जरूरी है, उन्हें इसके लिये प्रेरित करें तो वास्तव में अद्भुत परिवर्तन होगा।
बीके आरती जी ने कहा बच्चों के लिये टीकाकरण, स्वच्छता, शुद्ध और पौष्टिक आहार अत्यंत आवश्यक है।
श्री संजय राय जी ने कहा कि सरकार की टीकाकरण योजनायें अद्भुत और उत्कृष्ट है इसलिये बिना भ्रम और भय के बच्चों को टीका लगाने का सुझाव दिया।
गोपाल बंसल जी ने कहा कि टीकाकरण केवल सरकार का कार्य नहीं है बल्कि माता-पिता, परिवार, समुदाय सभी की साझा जिम्मेदारी है।
वर्षा चन्द्रा जी, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, ईआईडी ने कहा कि एक बूंद से जीवन की शुरूआत होती है। जिस प्रकार बच्चे के लिये माँ का पहला दूध जरूरी है उसी प्रकार टीकाकरण भी जरूरी है। उन्होंने टीकाकरण के विषय में टेक्नीकल जानकारी प्रदान की। मिशन इन्द्रधनुष के विषय में जानकारी दी।
जीवा के बारे में
ग्लोबल इंटरफेथ वॉश एलायंस (जीवा) एक वैश्विक पहल है जो स्वच्छ, सुरक्षित जल, स्वच्छता और स्वच्छता की आदतों को बढ़ावा देने, पर्यावरणीय जागरूकता बढ़ाने और महत्वपूर्ण सामाजिक मुद्दों को संबोधित करने के लिए धर्म-आधारित संगठनों, धर्मगुरूओं और समुदायों को एकजुट करता है।
यूनिसेफ के बारे में – यूनिसेफ बच्चों के जीवन को सुरक्षित रखने, उनके अधिकारों की रक्षा करने और उनकी क्षमता को निखारने के लिये पूरा अवसर प्रदान करने में मदद करने हेतु 190 से अधिक देशों और क्षेत्रों में काम करता है। यूनिसेफ का मिशन यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक बच्चे को जीवन में सर्वोत्तम संभव सुविधायें प्राप्त हो।
स्वामी चिदानंद सरस्वती जी, सह-संस्थापक, जीवा, गोस्वामी सुशील जी, भारतीय सर्व धर्म संसद, सरदार परमजीत चंडोक जी, अध्यक्ष, बंगला साहिब गुरुद्वारा, श्री विवेक मुनि जी, संस्थापक अध्यक्ष, आचार्य सुशील मुनि मिशन, बीके बहन आरती जी, शालिनी प्रसाद जी एसबीसी विशेषज्ञ, यूनिसेफ, तमारा अबू शाम जी, एसबीसी विशेषज्ञ, यूनिसेफ, श्री गोपाल बंसल जी, कार्यक्रम बजट, वित्त प्रबंधन विशेषज्ञ, यूनिसेफ, सुखपाल कौर मारवा जी, एसबीसी विशेषज्ञ, यूनिसेफ, भावना ठाकुर जी, सलाहकार, यूनिसेफ, श्री संजय राय जी, महासचिव, हरिजन सेवक संघ, डॉ. महेशकुमार के. सेंघानी जी, प्रोफेसर वीरायतन इंस्टीट्यूट ऑफ फार्मेसी, श्री श्यामजी भगत जी, श्री अमित यादव जी, विमल बधावन जी, वन्दना शर्मा जी और अन्य अनेक संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने किया सहभाग।

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