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मणिपुर,आदिवासियों पर अत्याचारों के विरोध में राष्ट्रीय विरोध प्रदर्शन

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सुनील कुमार प्रधान संपादक

आदिवासियों पर किए जा रहे अन्याय व अत्याचारों के विरोध में राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद के भारत बंद के समर्थन में बामसेफ के आफसूट संगठनों के कार्यकर्ताओं ने हरिद्वार भगत सिंह चौक से चंद्राचार्य चौक होते हुए शंकर आश्रम तिराहे से वापसी चंद्राचार्य चौक होते हुए भगत सिंह चौक तक विरोध प्रदर्शन किया।
इस अवसर पर बहुजन मुक्ति पार्टी के पूर्व प्रत्याशी भान पाल सिंह रवि ने कहा कि यूसीसी के नाम पर आदिवासियों के मौलिक संवैधानिक अधिकारों को छीनने के विरोध में एवं मणिपुर में नेट बंद करके निरीह आदिवासी महिला, पुरुषों, एवं बच्चों पर किए गए बर्बरता पूर्वक अत्याचारों के विरोध में राष्ट्रीय आदिवासी एकता परिषद के द्वारा भारत बंद के समर्थन में बहुजन क्रांति मोर्चा, राष्ट्रीय किसान मोर्चा, राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग मोर्चा, राष्ट्रीय क्रिश्चियन मोर्चा, राष्ट्रीय मूलनिवासी महिला संघ, भारतीय विद्यार्थी मोर्चा ,भारत मुक्ति मोर्चा, आदि संगठनों के कार्यकर्ताओं ने हरिद्वार में प्रदर्शन किया
बहुजन क्रांति मोर्चा के प्रदेश संयोजक भंवर सिंह ने देश की जनता के सामने सवाल रखते हुए कहा कि आजादी के 75 साल बाद मणिपुर में नेट बंद करके मूल निवासी आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर अश्लीलता करते हुए सड़क पर दौड़ा कर सामूहिक बलात्कार करने वाले मूलनिवासी आदिवासी महिलाओं को कैसे समान कर सकते हैं। मूछ रखने पर ,घोड़ी चढ़ने पर ,पानी का घड़ा छूने पर, चक्की का पाट छूने पर, अच्छी पढ़ाई करने पर भारत के मूल निवासियों को मौत के घाट उतारने वालों उनको समान कैसे कर सकते हो। sc.st.obc के संवैधानिक अधिकार आरक्षण का विरोध करने वालों एससी एसटी ओबीसी को सामान कैसे कर सकते हो। भारत के संविधान का विरोध करने वाला व्यक्ति भारत का नागरिक कैसे हो सकता है। देश के सर्वोच्च पद पर आसीन राष्ट्रपति महोदया को मंदिर में जाने से रोक कर देश की महामहिम राष्ट्रपति महोदया एवं उसके समाज आदिवासियों का अपमान करने वालों उन मूल निवासी आदिवासियों को समान कैसे कर सकते हो।
राष्ट्रीय किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष जबर सिंह गुर्जर ने कहा कि यूसीसी के नाम पर देश के मूलनिवासी बहुजन समाज को गुमराह करने वालों बताओ कि संवैधानिक हिस्सेदारी (आरक्षण) मांगने पर जाट, गुर्जर, पटेल, मराठाओं के युवाओं को मौत के घाट उतारने वालो- जाट, गुर्जर, पटेल, मराठों को समान कैसे कर सकते हो।औ । कृषि के काले कानूनों के विरोध में धरना देने के दौरान700 किसानों की मौत पर मौन रहने
वाले विदेशी आर्य ब्राह्मण भारत के किसानों के हितेषी कैसे हो सकते हैं। 1984 में हजारों बेगुनाह सिखों, उनके बीवी -बच्चों का कत्लेआम करने वाले ,उन सिखों के हितेशी कैसे हो सकते हैं। कोरोना काल में देश के मजदूरों को हजारों किलोमीटर पैदल चलाकर हजारों मजदूरों के बीवी बच्चों को मौत के घाट उतारने वाले उन मजदूरों के हितेषी कैसे हो सकते हैं
बहुजन मुक्ति पार्टी के राष्ट्रीय संगठन सचिव संजय मूलनिवासी ने कहा कि देश में आदिवासियों की संस्कृति और पहचान समाप्त कराने के लिए एवं विकास के नाम पर जल, जंगल और जमीन से आदिवासियों को बेदखल करने के लिए संसद द्वारा बनाए गए असंवैधानिक कानूनों के विरोध में एवं मणिपुर में आदिवासियों के घरों में आग लगाने के विरोध में, आर्टिकल 25 के माध्यम से आदिवासियों को मिली धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार को खत्म करने के विरोध में आदिवासियों को झूठे मुकदमों में जेल में डाल कर उनकी जमीन को हड़पने के विरोध में एवं आदिवासियों को न्याय दिलाने के लिए प्रदर्शन किया
इस अवसर पर भंवर सिंह ,भानपाल सिंह रवि, संजय मूलनिवासी, प्रदेश प्रभारी आरपी अंबेडकर,पास्टर सुरेंदर ,मोहम्मद नसीर अहमद ,चौधरी रूपचंद, नत्थू सिंह, जबर सिंह गुर्जर, संदीप सिंह गुर्जर ,एडवोकेट रूपचंद आजाद, सरोज पाल सिंह, नरेश प्रधान, रफल पाल सिंह ,फूल सिंह पूर्व प्रधानाचार्य, एडवोकेट रेनू सिंह ,अमित कुमार, पूर्व ग्राम प्रधान श्याम सुंदर आदित्य ,रमेश चंद, सुरेश, मोहम्मद जाबिर अली ,राजेश आदिवासी, अमित कुमार बौद्ध ,परशुराम बौद्ध, पास्टर दुलारे मसीह, कलीराम गौतम, हरपाल सिंह मौर्य ,जोगेंद्र सिंह बाबरा ,पास्टर सुरेंद्र कुमार रवीश कुमार सतीश कुमार आदि ने भाग लिया

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