कमलेश कुमार लखीमपुर खीरी ।
उत्तरप्रदेश का गौरव-दुधवा नेशनल पार्क
प्रतिवर्ष हजारों देशी विदेशी पर्यटक दुधवा नेशनल पार्क का दीदार करने पहुंचते हैं
दुधवा नेशनल पार्क के कारण ही लखीमपुर खीरी जनपद की एक अलग पहचान बन जाती है*
दुधवा के इन जंगलों के रख रखाव के लिए प्रतिवर्ष हजारों करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित किया जाता है।
इन दुधवा के जंगलों की देख रेख के लिए भारी भरकम वन विभाग का सरकारी महकमा रहता है
लेकिन एक कहावत है कि जब रक्षक ही भक्षक बन जायें
आज कल दुधवा का यह जंगल भीषण आग से तड़ तड़ करते हुए जल रहा है।लेकिन इस जंगल की खबर लेने वाला कोई नहीं, बल्कि रक्षक ही भक्षक बने हुए हैं जबकि जंगल की आग बुझाने के लिए वन विभाग का भारी महकमा रहता है।और अग्निशमन यंत्रों की खरीद के लिए हर साल सैकड़ों करोड़ रुपये का बजट दिया जाता है।
वहीँ दूसरी ओर जंगलों में बने जलाशयों में एक बूंद भी पानी नहीं है,दुधवा जंगल के जानवर पशु पक्षी जहां बिना पानी के तड़प तड़प कर मर रहे हैं तो वहीं असंख्यों जीव आग की चपेटों में जलकर भस्म हो रहे हैं।
जबकि जगंल के जलाशयों में गर्मी के दिनों में पानी भरने के लिए भी करोड़ों रुपये का बजट इन वन कर्मियों को दिया जाता है।
आज इस दुधवा नेशनल पार्क के असंख्यों बेजुवान जानवर पशु पक्षी एवं हरे भरे वृक्ष समस्त मानवजाति से अपनी रक्षा की गुहार लगा रहे हैं, अपने लिये पानी मांग रहे हैं तो अपने को आग से बचाने की भीख मांग रहे हैं।
जितने भी पशु पक्षी एवं प्रकृति प्रेमी, जब भी आज इन दुधवा के जंगलों से गुजरते हैं तो तड़ तड़ करके जल रहे इस जंगल की दुर्दशा देखकर सबकी आत्मा विचलित हो जाती है।
आखिर इतनी बड़ी वन विभाग की फौज होते हुए भी जंगल रात दिन क्यों जल रहे हैं व जंगलों के जलाशयों में एक बूंद भी पानी क्यों नहीं है-?
वहीं दूसरी ओर भारतीय सीमा से सटे मित्र राष्ट्र नेपाल के शुक्ला फांटा, बर्दिया निकुंज, चितवन निकुंज आदि जंगलों में कभी भी आग नहीं लग पाती है आखिर कैसे-?
हालांकि नेपाल के जंगलों की देख रेख नेपाली सेना करती है, इसी कारण नेपाल के जंगलों मै ना तो आग लगती है, जंगलों के जलाशय गर्मियों में पानी से भरे रहने के कारण वहां के जंगली जानवर कभी भी आबादी क्षेत्र की ओर नहीं आते हैं।
नेपाली जंगल नेपाली सेना की देखरेख में होने के कारण पिछले 35,सालों में इन जंगलों का बेतहाशा विस्तार हुआ है और जंगल काफी घने होने के कारण इनमें जानवरों की संख्या भी बहुत बढ़ गयी है। जबकि हमारे जंगल सिकुड़ रहे हैं।
काश दुधवा नेशनल पार्क भी वन विभाग की जगह सेना या अर्धसैनिक बलों के नियंत्रण में कर दिया जाय तो जंगलों में आग से निजात तो मिलेगी ही साथ में जंगलों का विस्तार भी होगा बजट का पूरा पैसा जंगलों में ही खर्च होने के कारण जंगल घना भी होगा गर्मियों में भरपूर पानी रहने के कारण और जानवरों की संख्या भी बढ़ेगी।
जिला संवाददाता
उत्तरप्रदेश का गौरव-दुधवा नेशनल पार्क
प्रतिवर्ष हजारों देशी विदेशी पर्यटक दुधवा नेशनल पार्क का दीदार करने पहुंचते हैं
दुधवा नेशनल पार्क के कारण ही लखीमपुर खीरी जनपद की एक अलग पहचान बन जाती है
दुधवा के इन जंगलों के रख रखाव के लिए प्रतिवर्ष हजारों करोड़ रुपये का बजट भी आवंटित किया जाता है।
इन दुधवा के जंगलों की देख रेख के लिए भारी भरकम वन विभाग का सरकारी महकमा रहता है
लेकिन एक कहावत है कि जब रक्षक ही भक्षक बन जायें-?*
आज कल दुधवा का यह जंगल भीषण आग से तड़ तड़ करते हुए जल रहा है।लेकिन इस जंगल की खबर लेने वाला कोई नहीं, बल्कि रक्षक ही भक्षक बने हुए हैं जबकि जंगल की आग बुझाने के लिए वन विभाग का भारी महकमा रहता है।और अग्निशमन यंत्रों की खरीद के लिए हर साल सैकड़ों करोड़ रुपये का बजट दिया जाता है।
वहीँ दूसरी ओर जंगलों में बने जलाशयों में एक बूंद भी पानी नहीं है,दुधवा जंगल के जानवर पशु पक्षी जहां बिना पानी के तड़प तड़प कर मर रहे हैं तो वहीं असंख्यों जीव आग की चपेटों में जलकर भस्म हो रहे हैं।
जबकि जगंल के जलाशयों में गर्मी के दिनों में पानी भरने के लिए भी करोड़ों रुपये का बजट इन वन कर्मियों को दिया जाता है।
आज इस दुधवा नेशनल पार्क के असंख्यों बेजुवान जानवर पशु पक्षी एवं हरे भरे वृक्ष समस्त मानवजाति से अपनी रक्षा की गुहार लगा रहे हैं, अपने लिये पानी मांग रहे हैं तो अपने को आग से बचाने की भीख मांग रहे हैं।
जितने भी पशु पक्षी एवं प्रकृति प्रेमी, जब भी आज इन दुधवा के जंगलों से गुजरते हैं तो तड़ तड़ करके जल रहे इस जंगल की दुर्दशा देखकर सबकी आत्मा विचलित हो जाती है।
आखिर इतनी बड़ी वन विभाग की फौज होते हुए भी जंगल रात दिन क्यों जल रहे हैं व जंगलों के जलाशयों में एक बूंद भी पानी क्यों नहीं है-?
वहीं दूसरी ओर भारतीय सीमा से सटे मित्र राष्ट्र नेपाल के शुक्ला फांटा, बर्दिया निकुंज, चितवन निकुंज आदि जंगलों में कभी भी आग नहीं लग पाती है आखिर कैसे-?
हालांकि नेपाल के जंगलों की देख रेख नेपाली सेना करती है, इसी कारण नेपाल के जंगलों ना तो आग लगती है, जंगलों के जलाशय गर्मियों में पानी से भरे रहने के कारण वहां के जंगली जानवर कभी भी आबादी क्षेत्र की ओर नहीं आते हैं।
नेपाली जंगल नेपाली सेना की देखरेख में होने के कारण पिछले 35,सालों में इन जंगलों का बेतहाशा विस्तार हुआ है और जंगल काफी घने होने के कारण इनमें जानवरों की संख्या भी बहुत बढ़ गयी है। जबकि हमारे जंगल सिकुड़ रहे हैं।
काश दुधवा नेशनल पार्क भी वन विभाग की जगह सेना या अर्धसैनिक बलों के नियंत्रण में कर दिया जाय तो जंगलों में आग से निजात तो मिलेगी ही साथ में जंगलों का विस्तार भी होगा बजट का पूरा पैसा जंगलों में ही खर्च होने के कारण जंगल घना भी होगा गर्मियों में भरपूर पानी रहने के कारण और जानवरों की संख्या भी बढ़ेगी।
































